
भगवन श्रीकृष्ण की भक्ति के अनेक आख्यान हैं परन्तु उन आख्यानों में से सबसे अनोखा आख्यान है, जब श्रीकृष्ण भूख लगने पर विदुर के घर जा पहुंचे और विदुरानी नहा रहीं थीं और जैसे ही कृष्ण की आवाज कानो में सुनाई दी, वे भीगे वस्त्र पहने हुए ही उनके सम्मुख जा पहुंची, और कृष्ण के द्वारा भूख की बात सुन कर असमंजस में पड़ गयीं और तभी उन्हें ध्यान में आया कि कुछ केले घर में रखे हुए हैं.
वे केले उठा कर, भगवन श्रीकृष्ण को खिलाने बैठ गयीं, और उन्हें ये याद ही नहीं रहा कि वे क्या खिला रही हैं और वे श्रीकृष्ण के मुख में केले के छिलके देती जा रही थीं और गिरी को फ़ेंक रही थीं
तभी विदुर जी आ गए और उन्होंने कहा, अरे क्या नादानी कर रही हो, भगवन को छिलके खिला रही हो, ये सुन कर विदुरानी बहुत लज़्ज़ित हो गयीं,
फिर विदुर जी ने छिलके छील कर, गिरी को भगवन श्रीकृष्ण के मुख में दिया।
भगवन श्रीकृष्ण मुस्कराये और कहा, काका आपकी गिरी में भी वह स्वाद नहीं है जो काकी के हाथ से केले के छिलके खाने में आ रहा था, ये सुन कर काका और काकी दोनों श्रीकृष्ण के लीला के समक्ष नतमस्तक हो गये।