Geeta ke saar mantra
मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019
हे गोविंद राख शरण अब तो जीवन हारे!
नचाता है हमको कोई नाच जैसे,
सोमवार, 6 नवंबर 2017
Don't sacrifice in the name of Godess
anyone wants to please God, he or she must do pray for getting rid of these bad habits, be responsible, respectful and caring for all creatures.
मंगलवार, 1 मार्च 2016
गीता और प्रबंधन के मंत्र-१
अध्याय-१
जीवन के हर क्षेत्र में प्रबंधन की आवश्यकता होती है, चाहे वह सामाजिक जीवन हो अथवा व्यावसायिक|
कुशल प्रबंधन, जटिलताओं को सरलीकृत कर देता है और अपेक्षकृत बड़े लक्ष्यों तक सुगमता से पहुँचा जा सकता है| प्रबंधन के अध्ययन का उद्देश्य भी यही है|
कुशल प्रबंधन की मूलभूत समस्या ही है---
प्रभावी प्रबंधन
कुशलता अथवा योग्य कर्मियों की खोज
और इस प्रश्न का उत्तर है--- निज प्रबंधन अर्थात् स्वयं का प्रबंधन
संघर्ष, तनाव, कम उत्पादकता, उत्साह का अभाव एवं सोच में नकारात्मकता से बचने के लिये अथवा इन समस्याओं के स्थायी समाधान के लिये, ऩये प्रबंधन के मापदण्ड उग्रता के साथ, उच्च दबाव में अधिक बोझ और भौतिक उन्नति के सपनों के पंखों के सहारे, उच्च लक्ष्यों को प्राप्त तो कर पा रहें हैं, परन्तु इस तनाव के प्रभाव से ग्रस्त युवाओं को मानसिक रोगी भी बना रहे हैं|
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और जब वह एक नोट कमाने या छापने की मशीन की तरह कार्य करने लगता है, तो उस मनुष्य की मानवीय भावनायें कुंठित हो जाती हैं|
गीता मनुष्य के भीतर छिपी ऊर्जा को बाहर लाने का सशक्त माध्यम साबित हो रही है| गीता युद्धभूमि में भी स्मरण अर्थात् योग अर्थात् स्थिर बुद्धि रखने की वह कला सिखाती है, जिसका अभ्यास कर लेने वाला मनुष्य बड़ी से बड़ी समस्या का सामना भी बिना विचलित हुये कर सकता है|
गीता के एकसूत्र “मामनुस्मर युद्ध्य च” में जब इतना बड़ा प्रबंध का मंत्र छिपा है तो फिर आप अंदाज भी नहीं लगा सकते कि गीता के ७०० श्लोक हमें चेतना के किस शिखर पर ले जायेंगे|
गीता और प्रबंधन के मंत्र
आध्यात्मिक ऊर्जा के असीमित स्रोत के रूप में, पूरे विश्व में विख्यात श्रीमद्भगवद्गीता एक अद्भुत ग्रंथ है जिससे पूरे विश्व भर के लोग प्रबंधन की कला सीखने में लगे हैं|
जीवन की हर समस्या का समाधान स्थिर चित्तवृत्ति से ही निकल सकता है, यह रहस्य गीता से ही उद्घाटित हुआ है|
गीता ने समस्या से पलायन करने का मार्ग न सुझाते हुये, समस्या के स्थायी समाधान की ओर मनुष्य को, कर्मशील और सक्रिय होने की ओर प्रेरित किया है|
सम्यक रूप से गीता का अध्ययन, मनन और चिन्तन, मनुष्य की चेतना को अपूर्व ऊर्जा के अनन्त स्रोत से जोड़कर, मानव चेतना को उस उच्च शिखर पर ले जाता है, जो उसे न केवल सम्पूर्ण मानव जाति वरन् समूची मानवता के उत्थान के लिये प्रेरित करता है|
जीवन, की विपरीत परिस्थितियों को अनुकूलता में परिवर्तित करने में सक्षम बनाने वाले गीता के श्लोक, अलौकिक ऊर्जा से ओतप्रोत हैं|
इन मंत्रों की प्रासंगिकता, महत्ता पर इस पुस्तक में प्रकाश डालने की चेष्टा की जा रही है, मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि ये मंत्र आपके जीवन को भी आमूल परिवर्तित करने में समर्थ हैं, यदि आप इन मंत्रों को जीवन के प्रबंधन में प्रयोग कर सके|